Nisha... आखिरी भाग
" मैंने कहा ना... कोई बात नहीं है.. "अबकी बार मैंने थोड़ा गुस्से में बोला... जिससे निशा चुप हो गई और खिड़की के बाहर देखने लगी...
इसके बाद पुरे रास्ते निशा कुछ नही बोली.. वो खामोश ही रही... मैने एक - दो बार उससे अपनी दिल की बात कहनी भी चाहिए, पर उसकी बेरुखी देख मैने अपना मन बदल लिया... और सोचा की फार्महाउस मे ही सीधे कह दूंगा.. वरना अभी यदि यही मेरे मन की बात सुन यदि वो रोने लगी तो..? हल्ला करने लगी तो..? इसे कौन संभालेगा.... इसे छूना तक पसंद नही है अब मुझे....
" यह फार्महाउस मुझे भूतिया लगता है..." टैक्सी से उतरते ही वह बोली और एक बार फिर मैं गुस्से में भर गया और एक बार फिर सोचने लगा कि जिसके साथ मै एक पल शांति से नहीं बिता सकता उसके साथ मै अपनी पूरी जिंदगी क्या खाक बिताऊंगा.
टैक्सी वाले को पैसे देकर मैं फार्महाउस के गेट की तरफ बढ़ा... निशा ने फिर वही बात दोहराई कि उसे यह फार्महाउस भूतिया लगता है...
" निशा... बस भी करो.. अब..." मैंने तेज आवाज में कहा...
और मेरे कड़े बर्ताव से वो एक बार फिर चुप हो गई और चुपचाप मेरे साथ फार्म हाउस के अंदर आ गई... फार्महाउस के अंदर आने के बाद मै एक कुर्सी पर बैठा, पर निशा वही मुझसे थोड़ी दूर मे खड़ी रही... वो अब शायद मुझसे नाराज़ हो चली थी और यदि मेरा वश चलता तो वो सारी उम्र मुझसे नाराज़ ही रहे... वैसे भी उससे बात कौन करना चाहता है...? मै तो बिलकुल भी नही.... पर फिर भी बात तो करनी ही थी.. उसे ये तो बताना ही था की... भाड़ मे जाए वो और उसका रहीस बाप... श्री अरमान को अब उनसे कोई मतलब नही... इसलिए एक आखिरी बार बात तो करनी थी, उससे..... इसलिए अपने शरीर की पूरी हिम्मत जुटाकर मैने उससे फाइनली वो कहने का निर्णय लिआ.. जो मुझे बहुत पहले कह देना चाहिए था....
" निशा..."धीमे स्वर मे सिगरेट जलाते हुए मैने उसका नाम पुकारा....
" बोलो.."वो भी धीमे स्वर मे बोली...
मैंने, निशा को सब सच बताने का ठान लिया था ... यही सही मौका था, जब मैं उसे सब बता देता कि मैं उससे ना तो प्यार करता हूं और ना ही शादी कर सकता हूं. मैं उसे अपने एक हफ्ते तक गुमनामी में रहने का कारण बताना चाहता था... बिना इसकी परवाह किए की उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी... बिना इसकी परवाह किए कि यह सब जानने के बाद निशा का अमीर बाप... मुझे और मेरे बिजनेस का क्या हाल करेगा.. बेशक वो मुझे कंगाल कर देगा. लेकिन फिर भी मैंने सच बताने का निर्णय लिया...
" अरमान..." मेरे कंधों को पकड़कर हिलाते हुए वो बोली..."तुम कुछ कहने वाले थे.."
" बात यह है कि.." इतना कहकर मै थोड़ी देर के लिए रुका और फिर खुद को मजबूत करके एक सांस मे बोला...
"निशा, मै नहीं जानता कि तुम्हें सुनकर कैसा लगेगा और ना ही मुझे इसकी कोई परवाह है कि तुम पर क्या बीतेगी... पर सच तो ये है कि मैंने तुमसे कभी प्यार नहीं किया और ना ही मैं तुमसे शादी करूंगा. मैं 1 हफ्ते देरी से दिल्ली इसीलिए आया... कुछ देर पहले तुमने मुझसे पूछा था कि मेरा चेहरा मुरझाया हुआ क्यु है... मैं इतना उदास क्यों हूं... अब शायद तुम्हें मालूम चल गया होगा कि तुम ही उसकी वजह हो... तो प्लीज, तुम मेरी जिंदगी से दूर चली जाओ... ताकि मैं खुश रह सकूं."
इतना बोल कर मैं चुप हो गया और निशा के जवाब का इंतजार करने लगा. पर वो कुछ नहीं बोली और ना ही अब मेरे पास कुछ बोलने के लिए बचा था.. हम दोनों के बीच खामोशी छाई हुई थी.
" अरमान ... "तभी, फार्महाउस के बाहर किसी ने मेरा नाम पुकारा. मैं अब भी निशा के जवाब का इंतजार कर रहा था.
मैने सोचा था की उसकी आँखों मे आंसू होंगे, उसका चेहरा गुस्से से लाल होगा और वो मुझे हज़ारो गालिया देगी की.. मैने उसका इस्तेमाल किया.. लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ... बिलकुल भी नही... वो पहले की तरह ही शांत खड़ी मुझे निहार रही थी... इतने में किसी ने फिर से मेरा नाम पुकारा..
"मैं बाहर देख कर आता हूं.. "निशा को इतना बोलकर मैं बाहर जाने लगा, इस दौरान निशा वहां एक सोफे शांत बैठ गई
" सॉरी निशा, पर यही सच है... "बाहर जाते हुए पलटकर मै निशा से बोला..
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" अरमान ... कहां था इतने दिन.. मुझे कुछ बताना है तुझे...." निशा का भाई डेविड फार्म हाउस के बाहर था...
"मुझे भी कुछ बताना है, तुझे... पर तुझे कैसे पता चला की मै यहाँ हु?"
"ऑफिस मे तूने मेसेज छोड़ा था वही से..."
"तु कुछ बताने वाला...."
मुझे बीच मे ही रोक कर, निशा का भाई मुझसे लिपट गया और रोते हुए बोला....
""अरमान , निशा.. अब इस दुनिया मे नही रही...."
"क्याआआआ... बोल रहा है..."तुरंत उसे दूर करते हुए मै बोला...
"जब तूने ऑफिस मे अपना मेसेज छोड़ा की तु वापस आ गया है तो, मै तुरंत यहां तुझे बताने आ गया... निशा का एक्सीडेंट हुआ था, एयरपोर्ट से कुछ दूर. एक हफ्ते पहले, ठीक उसी दिन जिस दिन तू देहरादून से वापस आने वाला था... वो तुझे एयरपोर्ट लेने जा रही थी, उसकी कोई फ्रेंड भी साथ मे थी.. जिसे निशा एयरपोर्ट छोड़ने जा रही थी..."इतना बोलते हुए डेविड फिर मुझसे लिपट गया
"चुतिया है तु..... दिमाग़ मत ख़राब कर..."
उसे खुद से दूर करके मैं अपनी पूरी ताकत लगाकर फार्म हाउस के अंदर भागा, और उस सोफे की तरफ देखा जहां कुछ देर पहले निशा थी, पर अब वहां कोई नहीं था. मैंने पागलों की तरह निशा को आवाज दी...कि देखो तुम्हारा भाई क्या बोल रहा है. मैंने पागलों की तरह निशा को पूरे फार्म हाउस में ढूंढा...
लेकिन वह नहीं मिली. मानो वो,कभी वहां थी ही नहीं. दिल में अब उसके लिए दर्द था, जिसके लिए कुछ देर पहले नफरत थी... मैं उसे अब अपने करीब देखना चाहता था जिसेसे मैं कुछ देर पहले दूर जाना चाहता था... पूरे फार्म हाउस में पागलों की तरह ढूंढने के बाद भी जब वह नहीं मिली तो मै वापस उस सोफे के पास पहुंचा, जहां मैंने आखरी बार उसे देखा था... फिर मेरी नज़र सामने उस दीवार पर पड़ी.. जहा कुछ लिखा हुआ था... पहले तोह मैने ध्यान नही दिया पर.. फिर जब मैने दीवार मे लिखें उन शब्दों को पढ़ा तो...
" तेरी उस हाँ में भी मैं खुश थी, और तेरी इस ना में भी मैं खुश हूं...
जब जिंदगी थी तब भी तुझसे मोहब्बत थी, और आज मरने के बाद भी तुझसे मोहब्बत है..... "
दिल में, दिमाग में, पूरे जेहन मे... एक बार फिर वही नाम था जो पिछले कई दिनों से मेरे अंदर घूम रहा था... फर्क सिर्फ इतना सा था कि पहले मुझे उस नाम से नफरत थी और आज एक पल में उसके लिए.. दुनिया भर का प्यार उमड़ आया था. मै अब उसे अपने करीब पाना चाहता था, मैं उसे बताना चाहता था कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं. मै उससे माफी मांगना चाहता था... मैं उसके साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहता था... मैं उसे एक बार फिर से छूना चाहता था, उसको देखना चाहता था... अपनी पूरी ताकत के साथ इस आस मे कि वह फिर वापस आ जाए मैं चिल्लाया.....
"NISHAAAAAAA......"
Sahil writer
14-Aug-2021 05:29 PM
बढ़िया
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Yug Purush
14-Aug-2021 06:40 PM
Thanx Vrooooo😁😁
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